
पौराणिक इतिहास स्वामी अयप्पा की कहानी पर प्रकाश डालता है। कहते है देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर वध के पश्चात ‘महिषी’ नामक दानवी अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए आतुर हो गई। महिषी ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान माँगा कि उसे केवल शिव व विष्णु के संयोग से उत्पन्न हुआ पुत्र ही मार सके। अतः महिषी के अत्याचारों से संसार को मुक्त करने हेतु कुछ काल के लिए मोहिनी स्वरूप विष्णु और शिव जी का संसर्ग हुआ। इसी से जन्मे थे, ‘हरिहर पुत्र’, जिन्हें दक्षिण भारत में ‘अयप्पा स्वामी’ के नाम से जाना जाता है। भगवान अयप्पा अर्थात अय का अर्थ होता है विष्णु और पा का अर्थ होता है शिव। महिषासुर की बहन महिषी ने ब्रह्मा का तप कर के वरदान लिया था कि उसकी मौत केवल और केवल शिव और नारायण से जन्मे पुत्र से ही हो। तब अपने भाई की मौत (महिषासुर) का बदला लेने के लिए एक घटनाक्रम में उसने माता पार्वती के भंवरी देवी के रूप को कैद कर लिया था तो तब नारायण मोहिनी रूप में और शिव से संतान प्राप्त की जिनका नाम था हरिहर हरी अर्थात विष्णु और हर अर्थात महादेव। उसने महिषी का वध किया और हरिहर को वहां की भाषा में अयप्पा कह के पुकारते है। मकरविलक्कू केरल के सबरीमाला मंदिर के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। भगवान अयप्पा के हजारों भक्त मकरविलक्कु (प्रकाश या लौ) को देखने के लिए मंदिर में इकट्ठा होते हैं जो मंदिर से 4 किमी दूर पोन्नम्बलमेडु पहाड़ी पर तीन बार दिखाई देता है। भक्तों की यह मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान अयप्पन को परम तत्व की प्राप्ति हुई थी | इसलिए इस दिन दिव्य ज्योति का दिखना भगवान अय्यपन के उपस्थिति और आशीर्वाद का प्रतिक है जो कि उनके अध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। मंदिर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण राजा राजसेखरा ने कराया था। उन्हें पंपा नदी के किनारे अयप्पा भगवान बाल रूप में मिले थे, इसके बाद वो उन्हें अपने साथ महल ले आए थे। इसके कुछ समय बाद ही रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। अयप्पा के बड़े होने के कारण राजा उन्हें राज सौंपना चाहते थे, लेकिन रानी इसके लिए तैयार नहीं थीं।
एक बार रानी ने अपनी तबीयत खराब होने का बहाना बनाया और कहा कि उनकी बीमारी केवल शेरनी के दूध से ही ठीक हो सकती है। अयप्पाजी जंगल में दूध लेने चले गए। इस दौरान उनका सामना एक राक्षसी से हुआ, जिसे उन्होंने मार दिया। खुश होकर इंद्र ने उनके साथ शेरनी को महल में भेज दिया। शेरनी को उनके साथ देखकर लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ।
इसके बाद पिता ने अयप्पा को राजा बनने को कहा तो उन्होंने इससे मना कर दिया। इसके बाद वो वहां से गायब हो गए। इससे दुखी होकर उनके पिता ने खाना त्याग दिया। इसके बाद भगवान अयप्पा ने पिता को दर्शन दिए और इस स्थान पर अपना मंदिर बनवाने को कहा। इसके बाद इस जगह पर मंदिर का निर्माण कराया गया