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संवेदनशील मुख्यमंत्री : गांव के मातम के बीच अपना बन सीएम योगी ने बांटा दर्द

संवेदनशील मुख्यमंत्री : गांव के मातम के बीच अपना बन सीएम योगी ने बांटा दर्द

तय कार्यक्रमों को रद्द कर सीएम योगी अचानक पहुंचे कानपुर

अभिभावक बन पीड़ितों का जाना दर्द, तो बच्चियों से पूछा, कि स्कूल जाती हो ?

2 अक्टूबर, लखनऊ ।

कल तक जिस परिवार के बच्चे के मुंडन संस्कार में ढोल नगाड़े बजने थे, आज उस परिवार और उसके गांव में मातम की चीखें सुनाई दे रही है..शनिवार की रात काली रात साबित हो गई और देखते ही देखते 26 लोगों को अपने काल में समां ले गई। एक हादसा और 26 लोगों की मौत वाकई दिल दहला देने वाली थी..देखते ही देखते सड़क पर बच्चों के खिलौनों से लेकर खाने पीने का सामान चारों तरफ बिखरा पड़ा था..किसी ने नहीं सोचा था कि जिन खिलौनों को वो अपने साथ खेलने के लिए लेकर चले है..वो अचानक सड़क पर ऐसे बिखर जाएंगे..

शनिवार रात 8.30 बजे के आस पास हुई ये घटना यकीनन हर किसी के लिए उस सैलाब की तरह थी जो अचानक एक झटके में सबको अपने साथ बहा ले गया। घटना बड़ी थी तो सूचना आग की तरह फैल गई..मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जब पता चला कि उनके प्रदेश में बड़ा हादसा हुआ है..तो उन्होंने कमान अपने हाथों में ली..अधिकारियों को निर्देश जारी किए..राहत बचाव कार्य को युद्धस्तर पर चलाने और मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की सहायता राशि देने का ऐलान कर दिया। बात यही खत्म नहीं हुई..मुख्यमंत्री ने देर रात तक पूरी घटना की खुद मॉनिटरिंग करते हुए पल-पल की जानकारी अधिकारियों से ली।

आनन-फानन में राज्य सरकार के दो बड़े मंत्रियों को तत्काल प्रभाव से मौके पर जाने के निर्देश दिए तो दूसरी तरफ अस्पताल में घायल लोगों के समुचित उपचार की व्यवस्था के भी निर्देश दिए। पूरी रात इसी आपाधापी में गुजर गई..लेकिन कोरथा गांव में रातभर कोई सो नहीं पाया..कोई अपने करीबी की लाश लेकर घर पहुंच रहा था तो किसी के घर के दरवाजे पर महिलाएं सिसकियां भर रही थी। पुरूष भी अपने आंसू चाहकर भी नहीं रोक पा रहे थे। किसी को समझ ही नहीं आ रहा कि एक काली रात ने उनके जीवन से उजाले को छीन लिया है।

रोते-बिलखते गांव के लोगों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे..कि अचानक उन्हें पता कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अपने कार्यक्रम को निरस्त कर गांव में लोगों का दर्द बांटने पहुंच रहे हैं..फिर क्या आस-पास के गांव वाले भी सीएम योगी से मिलने और उन्हें देखने कोरथा गांव पहुंचने लगे। करीब दोपहर एक बजे का वक्त रहा होगा जब मुख्यमंत्री योगी अपने कुछ अधिकारियों के साथ सबसे पहले हैलट अस्पताल पहुंचे और वहां उन्होंने घायलों के परिजनों से हालचाल लिया..करीब 20 मिनट तक उन्होंने एक बेटे, एक पिता और एक अभिभावक का फर्ज निभाते हुए लोगों को दर्द बांटा।

इतना ही नहीं सीएम योगी खुद उस कोरथा गांव में भी पहुंचे जिस गांव में सिर्फ रोने और चीखने की आवाजें गूंज रही थी। मुख्यमंत्री योगी ने अपनी फ्लीट को पहले ही रोककर पैदल चलते हुए करीब 10 परिवारों से व्यक्तिगत मुलाकात की..उन्होंने खुद एक -एक परिवार से बात की और पूरी घटना की जानकारी ली। सीएम परिवारों से बात तो कर रहे थे लेकिन उनके चेहरे पर उदासी और आंखों में नमी ये बता रही थी कि ये सिर्फ गांव के लोग नहीं बल्कि उनके अपने है..जिन्होंने उन्हें राजधर्म निभाने के लिए चुना था। सभी को पता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने से पहले वो एक संन्यासी हैं, गोरक्षपीठाधीश्वर हैं..आज वो भाव भी दिख रहा था..मुख्यमंत्री हर परिवार से करीब 10 मिनट तक बात कर रहे थे..बारीकी से हर जानकारी ले रहे थे..सरकारी योजना का लाभ मिलता है कि नहीं..बच्चियां स्कूल जाती है कि नहीं..

हमेशा देखा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सूबे के आलाअफसरों के लिए दिख रहा रवैया जितना सख्त होता है, उससे कई गुना अधिक नरम स्वभाव मासूम बच्चों के लिए भी होता है। सीएम योगी और बच्चों के बीच इस रिश्ते की कहानी कोई नई नहीं है। कोरथा गांव में भी महिलाओं से बात करते वक्त सीएम योगी ने पूछा कि क्या आप अपनी बच्ची को स्कूल पढ़ने भेजते हैं। इस पर महिला ने मना कर दिया, फिर क्या सीएम ने बच्ची की मां से बिटिया को रोज स्कूल भेजने के लिए कहा । यहीं नहीं सीएम ने अधिकारियों को सभी बच्चियों को कन्या सुमंगला योजना से भी लाभांवित करने के निर्देश दिए। जाहिर है बच्चों की पढ़ाई के लिए सीएम योगी हमेशा से ही चिंतित रहे हैं और यही कारण है कि गांव में उन्होंने हर परिवार से बच्चों की पढ़ाई को लेकर बात की। सरकारी योजनाओं से लोगों को लाभ मिले इसको लेकर भी अधिकारियों को निर्देशित किया। गांव वालों को भी यकीन नहीं हो रहा था कि प्रदेश का मुखिया उनसे एक अभिभावक की तरहे मिलेगा..उनका हालचाल लेगा। ये कोई पहला वाकया नहीं है..जब योगी आदित्यनाथ सांसद हुआ करते थे तब भी किसी घटना होने के बाद जब उन परिवार वालो से मिलने जाते थे तो हमेशा वो एक अभिभावक के तौर पर ही मिलते थे।

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