Sliderउत्तर प्रदेश

अपने गांव पहुँची बलिया की युपीएसी टॉपर शक्ति दुबे देखने के लिए टूट पड़ी भीड़

सपनों की उड़ान अगर सच्चे इरादों से भरी हो, तो मंज़िल दूर नहीं रहती। कुछ ऐसी ही प्रेरक कहानी है शक्ति दुबे की, जिन्होंने  UPSC 2024 परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया। हाल ही में शक्ति सात साल बाद अपने पैतृक गांव रामपुर (वाजिदपुर), बलिया पहुंचीं, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। जैसे ही यह खबर फैली कि शक्ति दुबे गांव लौट रही हैं, पूरा गांव उमड़ पड़ा। लोग सड़कों पर खड़े होकर उनकी एक झलक पाने को बेताब थे। स्कूल के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू थे। गांव के प्रधान प्रतिनिधि सुग्रीव पासवान, पूर्व प्रधान मुन्ना यादव और स्थानीय नेताओं ने उनका सम्मान किया। उनके घर पर मिठाइयों का दौर चला और पूरे गांव में एक उत्सव जैसा माहौल बन गया। शक्ति ने 2018 में UPSC की तैयारी शुरू की थी। वे दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रही थीं। कोविड-19 महामारी के दौरान वे घर लौटीं, लेकिन फिर से तैयारी में जुट गईं। उन्होंने बताया कि यह उनका पांचवां प्रयास था और इस बार उन्होंने बिना कोचिंग, केवल आत्म-अध्ययन के बलबूते सफलता पाई। शक्ति की व्यस्त दिनचर्या, तैयारी और आत्मसंयम के चलते वे इतने सालों तक गांव नहीं आ सकीं। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि ये सात साल आत्म-नियंत्रण, तपस्या और संघर्ष के साल थे। शक्ति के पिता, देवेंद्र दुबे उत्तर प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि बेटी की लगन और अनुशासन ने ही उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। शक्ति की मां और भाई ने भी उनका भरपूर साथ दिया। इस पूरे सफर में परिवार की भूमिका शक्ति के लिए सबसे अहम रही शक्ति ने अपनी सफलता का श्रेय ‘रामेश्वर महादेव’ की कृपा और परिवार के सहयोग को दिया। उन्होंने कहा, “मेरी सफलता केवल मेरी नहीं है, यह पूरे परिवार और गांव की मेहनत और आशीर्वाद का फल है।” आज शक्ति दुबे एक नाम नहीं, एक प्रेरणा हैं। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि अगर इरादे पक्के हों और मेहनत निरंतर हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। गांव की बेटियों के लिए वे अब एक आदर्श हैं, जो यह दिखाती हैं कि सीमित संसाधनों से भी बड़ा सपना साकार किया जा सकता है। शक्ति दुबे की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके गांव लौटने पर उमड़ा जनसैलाब इस बात का सबूत है कि सच्ची सफलता वहीं मानी जाती है, जब वह समाज को प्रेरणा दे सके।

Related Articles

Back to top button