मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को महाकुम्भ नगर में पहुंचकर साधु-संतों से भेंट की। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ में अब तक विश्व के आधे से अधिक सनातन धर्मावलंबी स्नान कर चुके हैं, जो सनातन संस्कृति की अद्वितीय आस्था और शक्ति को दर्शाता है। मुख्यमंत्री सबसे पहले विष्णुस्वामी संप्रदाय की सतुआ बाबा पीठ पहुंचे, जहां उन्होंने महामंडलेश्वर संतोषाचार्य जी महाराज ‘सतुआ बाबा’ से भेंट की। इसके बाद वे श्री कांची कामकोटि पीठ के शिविर में पहुंचे और शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान उन्होंने कांची पीठ के पूर्व शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर आरती उतारी। वहीं शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती ने महाकुम्भ की व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा की और 60 करोड़ से अधिक सनातनियों के महाकुम्भ में स्नान करने को भी सराहा। सीएम योगी ने कांची कामकोटि पीठ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इस पूज्य पीठ की परंपरा ने सनातन धर्म के जनजागरण और अभिवृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि जब भी सनातन धर्म के सामने कोई संकट आया, कांची पीठ ने आगे बढ़कर उसका समाधान किया। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन हो या नेपाल संकट, इस पीठ ने सदैव धर्म की रक्षा के लिए प्रयास किए हैं।शंकराचार्य शंकर विजयेन्द्र सरस्वती ज ने महाकुम्भ की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन सरकार और जनता की सहभागिता का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति ही विश्व की आदर्श संस्कृति है और महाकुम्भ इसका जीवंत प्रमाण है। शंकराचार्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस बात के लिए भी सराहना की कि प्रयागराज के प्राचीन नाम को उन्होंने दोबारा स्थापित किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कुम्भ राष्ट्र को दिशा देता है। चाहे श्रीराम मंदिर के निर्माण का अभियान हो या देश में सनातन धर्म को शक्ति देने वाली सरकार हो, कुम्भ राष्ट्र को मार्ग दिखाता है। शंकराचार्य ने महाकुम्भ को एकता का कुम्भ बताते हुए इसे अद्वैत कुम्भ कहा।ृइस अवसर पर श्री शंकरपुर पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीकृष्णानंद तीर्थ और महामंडलेश्वर संतोषाचार्य जी महाराज ‘सतुआ बाबा’ सहित बड़ी संख्या में संतगण उपस्थित रहे।