हमेशा सुर्खियों में रहने वाले दानापुर के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव सुर्खियों में हैं गुरुवार की सुबह उन्होंने दानापुर कोर्ट में सरेंडर किया, जहां उन पर एक बिल्डर से रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के गंभीर आरोप हैं. कोर्ट ने उन्हें सीधे बेऊर जेल भेज दिया है। बिहार की राजनीति में बाहुबली नेताओं की एक लंबी परंपरा रही है। दानापुर विधानसभा सीट से निर्वाचित विधायक रीतलाल यादव इस परंपरा के एक अहम नाम हैं। एक समय में अपराध की दुनिया में चर्चित रहे रीतलाल यादव ने राजनीति में कदम रखा और अब वे एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के रूप में विधान सभा में मौजूद हैं। उनका सफर जितना रोचक है, उतना ही विवादों से घिरा हुआ भी।रीतलाल यादव का नाम पहली बार 1990 के दशक में सामने आया, जब वे पटना के कुख्यात गैंगस्टर के तौर पर जाने जाने लगे। रेलवे ठेकों और वर्चस्व को लेकर उनका नाम कई विवादों में आया। उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए। लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद उन्होंने राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखी। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में रीतलाल यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर दानापुर सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के तीन बार के विधायक आशा सिन्हा को हराकर जीत हासिल की। यह जीत केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक भी थी—यह दर्शाता था कि जनता ने बाहुबली छवि के बावजूद उन्हें जनप्रतिनिधि के रूप में स्वीकार किया। विधानसभा में रीतलाल यादव की उपस्थिति कभी-कभी विवादास्पद बयानबाज़ी को लेकर सुर्खियों में रही है, लेकिन वे जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने में भी पीछे नहीं रहते। क्षेत्र की समस्याओं जैसे जल-जमाव, सड़कों की खराब हालत और बेरोजगारी पर उन्होंने आवाज़ बुलंद की है। रीतलाल यादव आज भी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। उनके समर्थक उन्हें “जनता का नेता” कहते हैं, जबकि आलोचक उन्हें उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण ‘बाहुबली’ की संज्ञा देते हैं। हालांकि, वे खुद को एक बदले हुए व्यक्ति के रूप में पेश करते हैं, जो अब अपने क्षेत्र के विकास और गरीबों के हित में काम कर रहे हैं।उनकी छवि आज भी पूरी तरह से साफ नहीं मानी जाती। उन पर दर्ज कई आपराधिक मुकदमों को लेकर विरोधी दल उन्हें लगातार निशाने पर लेते रहते हैं। हालांकि उन्होंने कई मामलों में कोर्ट से राहत भी पाई है।
रीतलाल यादव का सफर अपराध की दुनिया से सत्ता के गलियारों तक का है। वे बिहार की उस राजनीति का चेहरा हैं, जहां बाहुबल, प्रभाव और जनाधार तीनों का मिश्रण चुनावी जीत दिला सकता है। समय ही बताएगा कि रीतलाल यादव अपनी छवि में कितना बदलाव लाते हैं और क्षेत्र के विकास के लिए कितना योगदान दे पाते हैं । रीतलाल यादव का नाम एक समय बिहार के चर्चित आपराधिक मामलों में प्रमुख रूप से सामने आया था। उनमें से एक गंभीर मामला चलती ट्रेन में एक कॉन्ट्रैक्टर के अपहरण से जुड़ा है, जिसने उन्हें “बाहुबली” की छवि दी और राज्य भर में उन्हें कुख्यात कर दिया। इस घटना ने न सिर्फ उनकी आपराधिक छवि को और मजबूत किया, बल्कि यह भी दिखाया कि किस तरह अपराध और सत्ता का गठजोड़ बिहार की राजनीति में गहराई तक मौजूद रहा है। बिहार की राजनीति में जहां कई नेता अपने सामाजिक कार्यों से प्रसिद्धि पाते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपराध की दुनिया से होते हुए राजनीति में प्रवेश करते हैं। दानापुर के विधायक रीतलाल यादव का नाम भी ऐसे ही नेताओं में गिना जाता है, जिनका अतीत बिहार के आपराधिक इतिहास में दर्ज है। रीतलाल यादव का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब उन पर आरोप लगा कि उन्होंने एक चलती ट्रेन से एक रेलवे कॉन्ट्रैक्टर का अपहरण करवाया था। यह घटना इतनी चौंकाने वाली थी कि इसने राज्य भर में हड़कंप मचा दिया। आरोप था कि ठेकेदारी विवाद को लेकर अपहरण की यह साजिश रची गई थी।