कछुआ दिवस पर विशेष
अब दुर्लभ कछुओं को आसानी से पहचाना व बचाया जा सकता है
कछुओं की सुरक्षा के लिए वेवसाइट और ऐप हुई लाँच
मनीष कुमार पांडेय /अज़ीम मिर्ज़ा
बहराइच। रविवार को विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर कछुओं की प्रजाति को आसानी से पहचानने और उनको सही स्थान तक पहुचाने के उद्देश्य से एक वेव साइट और एक ऐप का लॉन्च किया गया।
सरयू नदी के किनारे तीन साल से शोध कर रही अरुणिमा ने बताया कि बहराइच में सरयू का किनारा कछुओं के सर्वाइवल के लिए बहुत उपयुक्त स्थान है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कछुओं की 15 प्रजातियों में से सरयू के किनारे 11 प्रजातियों का पाया जाना बहुत ही सौभाग्य की बात है। इतनी अधिक प्रजातियों के मिलने से यह प्रतीत होता कि यह इलाका कछुओं की उतपत्ति के लिए काफी अनुकूल है। इसीलिए 2008 से इनके संरक्षण के लिए यहाँ एक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। मैं भी इस प्रोजेक्ट से 2018 से जुड़ी हुई हूँ इस प्रोजेक्ट के तहत हम लोग स्कूली बच्चों, मछुआरों और नदी के किनारे रहने वाले लोंगो को कछुओं के बारे में जागरूक करते है और नई वेवसाइट और ऐप की मदद से अब और आसानी से दुलर्भ प्रजातियों को पहचाना जा सकता और बचाया जा सकता है।
अपनी तरह के पहले कुर्मा-ट्रैकिंग इंडियन टर्टल ऐप के जारी होने के एक वर्ष के बाद, इंडियन टर्टल कंजर्वेशन एक्शन नेटवर्क ने कुर्मा वेबसाइट का रिलीज किया।
ये वेबसाइट कुर्मा-ट्रैकिंग इंडियन टर्टल ऐप की सभी पूर्व-मौजूदा सुविधाओं को समाहित करते हुये बनायी गयी है जो कछुओं के संरक्षण एवं उनकी सुरक्षा को आसान बनाने में अति सहायक सिद्ध होगी। इस वेबसाइट के सहायता से अब न केवल कोई कछुआ के बारे में रिपोर्ट कर सकता है, बल्कि वे अपने अनुभव के बारे में दिलचस्प कहानियां भी साझा कर सकते हैं और देश भर के अन्य कछुआ प्रेमियों के साथ जुड़ सकता है।
इस ऐप को भारत के आम नागरिकों को कछुआ संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया था, जिससे इस ऐप में उनके द्वारा देखे गये कछुओं के बारे में रिपोर्ट करके वो एक राष्ट्रीय कछुआ डेटाबेस बनाने में मदद कर सकेगा। इस ऐप के माध्यम से केवल स्वच्छ जलीय कछुओं के अतिरिक्त समुद्री कछुओं के बारे में भी सूचनायें मिलने लगी हैं। इस ऐप से राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों से जल्द से जल्द सहायता भी प्राप्त की जा रही है।
वर्तमान में, इस ऐप के देश भर से लगभग 2000 उपयोगकर्ता हैं और विभिन्न क्षेत्रों से अवलोकन और बचाव के लगभग 250 रिपोर्ट अपलोड हैं। भारत में पाए जाने वाले कुर्म (Tortose) और कच्छप (Turtle) की 29 प्रजातियों में से 23 प्रजातियों को पहले ही इस ऐप में रिपोर्ट किया जा चुका है।
यह देखा गया है कि सबसे अधिक रिपोर्ट की जाने वाली और रेस्क्यू की गई प्रजाति है भारतीय फ्लैपशेल कछुआ (लिसेमिस पंक्टाटा) है, जो एक ऐसी प्रजाति है जो आमतौर पर पूरे भारत में पाई जाती है, लेकिन इसका काफी बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है। कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे कील्ड बॉक्स कछुए (क्यूरा मौहोती), और थ्री स्ट्राइप्ड रूफ्ड टर्टल (बटागुर ढोंगोका) को भी ऐप में रिपोर्ट किया गया है।
अब तक, सभी रेस्क्यू कर रिकॉर्ड किए गए 41ः कछुवें उनके प्राकृतिक प्रवास में किये गये है जो घायल या फंसे हुए पाए गए थे, जबकि 18ः पाले गये तथा 4ः बाजारों से रेस्क्यू कर इस ऐप में डाले गये है। हालांकि, भारत में कछुओं के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा होने के बावजूद, अवैध वन्यजीव व्यापार से केवल 8ः बचाए जाने की सूचना मिली है। यह आम भारतीय जनता की वन्यजीव बचाव के लिए आसान पहुंच और वन्यजीव अपराध के खिलाफ लड़ाई में रिपोर्टिंग उपायों के महत्व को रेखांकित करता है, जिसे आईटीसीएएन (ITCAN) द्वारा कुर्मा ऐप और अब, वेबसाइट द्वारा भी संभव बनाया जा रहा है।
कुछ दशकों से स्वच्छ जलीय कच्छप (Turtle) एवं कुर्म (Tortoise) अपने परिवास के विनाश, अवैध व्यापार एवं मांस तथा अंडे के शिकार तथा अन्य मानव द्वारा की जा रही उनके परिवास के पास की जा रही गतिविधियों के कारण अपने को बचाये रखने के लिये अत्यन्त चुनौतियों का सामना कर रहें हैं।
भारत में कछुओं की 29 प्रजातियाँ पायी जाती है जिनमें 24 प्रजाति के कच्छप एवं 5 प्रजाति के कुर्म हैं जिनमें से अधिकांष कछुवें भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न अनुसूचियों के अन्तर्गत संरक्षित हैं। किन्तु इन कछुओ की प्रजातियों, इनके वितरण के क्षेत्रों तथा प्रकृति में इनकी पारिस्थितिक महत्व के बारे में लोगों का ज्ञान अत्यन्त कम है।
टर्टल सवाइवल एलायन्स इन्डिया, एक दशक से अधिक समय से सम्पूर्ण भारत में विभिन्न कछुओं के विभिन्न प्रजाति वाले क्षेत्र में लगातार विभिन्न संरक्षण, अनुसंधान तथा सामुदायिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छ जलीय कछुओं के अतिरिक्त अन्य जलीय वन्यजीवों तथा उनके परिवासों के संरक्षण का कार्य करती आ रही है। 5 कछुआ प्राथमिकता वाले क्षेत्र में यह कार्यक्रम 8 विभिन्न प्रजातियों के साथ विभिन्न इन-सीटू संरक्षण कार्यक्रमों, संरक्षित कालोनी तथा संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्य है ।
विश्व कछुआ दिवस प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण विश्व में कछुओं के प्रति जानकारी एवं जागरूकता बढ़ाने, कछुओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने तथा हमारे कछुआ मित्रों के संरक्षण में आम जन को जोड़ने के लिये मनाया जाता है ।
टर्टल सर्वाइवल एलायन्स ( टी०एस०ए० ) इन्डिया ने इस वर्ष विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर ‘प्लास्ट्रान पिकासो’ नाम का एक अप्रत्यक्ष (Virtual) कला प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें नये नये प्रतिभागियों की चित्रकला को आमन्त्रित किया गया है जिससे वे भविष्य में कछुओं एवं उनके आवास के संरक्षण में अपना सहयोग कर सकें एवं हमारे टर्टल मित्र के प्रति अपना प्यार तथा श्रद्धा दिखा सकें ।
टी०एस०ए० ने इस वर्ष मई माह को कछुआ माह के रूप में मनाते हुये विभिन्न कलाकारों / चित्रकारों, लेखकों, फोटोग्राफरों एवं वन्यजीव उत्साहियों को कछुओं के संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया के मंच पर प्रतिदिन कछुओ के सन्दर्भ में विभिन्न सूचनात्मक पोस्ट डालता रहा है।
अब तक टी०एस०ए० के इन कार्यक्रम के द्वारा साल एवं ढोढ़ प्रजाति के कछुओं की 6500 से अधिक अंण्ड़ो को संरक्षित किया है तथा 5000 से अधिक साल एवं ढोढ़ प्रजाति के नवजातों को राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य, उत्तर प्रदेश में चम्बल नदी में विमोचित किया ।
इसके अतिरिक्त कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केन्द्र, लखनऊ में संरक्षण एवं प्रजनन कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वच्छ जलीय कछुआ की 13 प्रजातियों का वैज्ञानिक ढंग से प्रजनन करा कर उन पर निगरानी भी कर रही है।