सिर्फ़ पानी नहीं, ये है अमृत, तांबे के लोटे का वो जादू, जिससे आप अब तक थे अनजान…
It's not just water, it's nectar, the magic of the copper pot, which you were unaware of till now...

Breaking Today, Digital Desk : कॉपर के लोटे से पानी पीना हमारे पुराने समय से चली आ रही एक परंपरा है, जिसे आजकल लोग फिर से अपनाने लगे हैं. दादी-नानी के नुस्खों में इसका ज़िक्र अक्सर मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे सिर्फ़ आस्था ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी है? आइए जानते हैं कि कैसे तांबे का लोटा हमारे जीवन में सेहत और सुकून ला सकता है.
सेहत का खज़ाना: विज्ञान की नज़र से
तांबे के बर्तन में पानी रखने से तांबा पानी में अपने कुछ ख़ास गुण छोड़ता है, जिसे ‘ओलिगोडायनामिक’ प्रभाव कहते हैं.
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पेट की सेहत: तांबा पेट के अंदर के हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है, जिससे पाचन क्रिया सुधरती है और पेट से जुड़ी कई परेशानियाँ जैसे गैस, एसिडिटी और कब्ज़ दूर होती हैं. यह अल्सर के घावों को भरने में भी सहायक माना जाता है.
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वजन कम करने में सहायक: कुछ शोध बताते हैं कि तांबे का पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है.
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त्वचा और बाल: तांबा मेलेनिन के उत्पादन में सहायक होता है, जो हमारी त्वचा और बालों के रंग के लिए ज़रूरी है. इसके नियमित सेवन से त्वचा चमकदार और बाल स्वस्थ रह सकते हैं. यह त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में भी सहायक है.
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रोग प्रतिरोधक क्षमता: तांबा एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. यह घावों को जल्दी भरने में भी मदद करता है.
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जोड़ों का दर्द: इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया और जोड़ों के दर्द में आराम दे सकते हैं.
आध्यात्मिक महत्व: मन की शांति का स्रोत
हमारे भारतीय संस्कृति में तांबे को एक पवित्र धातु माना गया है. पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में तांबे के लोटे का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है.
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सकारात्मक ऊर्जा: ऐसा माना जाता है कि तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत रहता है. यह ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक है.
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ग्रह शांति: ज्योतिष में भी तांबे का महत्व बताया गया है. सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग किया जाता है, जिससे ग्रहों की शांति और सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होते हैं.
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आयुर्वेद में स्थान: आयुर्वेद में तांबे के पानी को ‘ताम्र जल’ कहा गया है और इसे त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने वाला बताया गया है.
कैसे करें इस्तेमाल?
सबसे अच्छा तरीका यह है कि रात को तांबे के लोटे में पानी भरकर रख दें और सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन करें. पानी को ढक कर रखें. ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन को नियमित रूप से साफ करते रहें ताकि उसमें कोई हरापन न जमे. नींबू और नमक से इसे आसानी से साफ किया जा सकता है.
तो, अगली बार जब आप पानी पिएँ, तो एक बार तांबे के लोटे के बारे में ज़रूर सोचें. यह सिर्फ़ एक पुरानी परंपरा नहीं, बल्कि सेहत और सुकून का एक अनमोल ज़रिया है.





