
Breaking Today, Digital Desk : इज़रायल में इस समय एक ही आवाज़ गूँज रही है – “अब नहीं तो कभी नहीं!” हज़ारों की संख्या में इज़रायली नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं, उनकी आँखों में गुस्सा है, दिल में अपनों की वापसी की तड़प। ये प्रदर्शनकारी सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि हमास के पास बंधक बनाए गए सभी लोगों को सुरक्षित घर वापस लाया जाए। तेल अवीव की सड़कें लोगों की भीड़ से अटी पड़ी हैं, जहाँ परिवार, दोस्त और हमदर्द एक साथ खड़े होकर अपने प्रियजनों की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
एक भावनात्मक पुकार: हर चेहरे पर दर्द और उम्मीद
प्रदर्शन स्थलों पर एक अजीब सा माहौल है। एक तरफ़ अपनों के बिछड़ने का गहरा दर्द है, तो दूसरी तरफ़ उन्हें वापस पाने की अटूट उम्मीद। तख्तियों पर बंधकों की तस्वीरें हैं, जिनके नीचे उनकी कहानियाँ और घर वापसी की गुहार लिखी है। लोग नारे लगा रहे हैं, गाने गा रहे हैं, और एक-दूसरे को हिम्मत दे रहे हैं। यह सिर्फ़ एक प्रदर्शन नहीं है, यह इज़रायली समाज का एक भावनात्मक उबाल है, जहाँ हर कोई अपने बंधकों के लिए न्याय और सुरक्षा चाहता है। यह दिखाता है कि बंधकों का मुद्दा सिर्फ़ उनके परिवारों का नहीं, बल्कि पूरे देश का मुद्दा बन गया है।
सरकार पर बढ़ता दबाव: समाधान की तलाश
इन ज़ोरदार प्रदर्शनों से सरकार पर दबाव लगातार बढ़ रहा है। लोगों का मानना है कि सरकार को बंधकों की सुरक्षित वापसी के लिए हर संभव क़दम उठाना चाहिए, भले ही इसके लिए कोई भी क़ीमत चुकानी पड़े। बातचीत के ज़रिए, सैन्य दबाव से, या किसी भी अन्य तरीक़े से, बस बंधकों को घर वापस लाना ही उनकी प्राथमिकता है। कई प्रदर्शनकारी इस बात से नाराज़ हैं कि अब तक इस मुद्दे का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। वे सरकार से ठोस कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
एकजुटता का संदेश: हम सब साथ हैं
इन प्रदर्शनों में जो चीज़ सबसे ज़्यादा देखने को मिल रही है, वह है इज़रायली लोगों की एकजुटता। अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग, अलग-अलग उम्र के लोग, सब एक ही छत के नीचे, एक ही मकसद के लिए जमा हुए हैं। यह संदेश साफ़ है कि संकट की इस घड़ी में पूरा देश अपने बंधकों के साथ खड़ा है। यह केवल इज़रायल में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से बढ़कर है; यह मानवता की उस भावना को दर्शाता है जहाँ हर जान की क़ीमत है और हर परिवार अपने प्रियजनों की सुरक्षा चाहता है।