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तिरुपति में मुंडन क्यों करवाते हैं आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम की रसियन मूल की पत्नी ने क्यों कराया बालाजी में मुंडन

भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है, जहां हर धार्मिक स्थल की अपनी एक विशिष्ट पहचान और महत्व होता है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर न केवल दक्षिण भारत बल्कि पूरे देश के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और इन श्रद्धालुओं में से कई लोग मुण्डन संस्कार (सिर मुंडवाना) भी करवाते हैं।लेकिन आखिर तिरुपति में मुण्डन क्यों करवाया जाता है? इसका उत्तर आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक विश्वास में छिपा है। तिरुपति में मुण्डन करवाने का सबसे सामान्य कारण होता है – मन्नत का पूरा होना। माना जाता है कि जब किसी की मनोकामना तिरुपति बालाजी की कृपा से पूरी होती है, तो वे अपने बाल अर्पित करके भगवान को धन्यवाद देते हैं। यह एक तरह की कृतज्ञता की भावना को दर्शाता है। बाल त्यागना प्रतीकात्मक रूप से अहंकार, घमंड और सांसारिक मोह का त्याग माना जाता है। जब कोई भक्त बाल अर्पित करता है, तो वह यह दर्शाता है कि वह अपने शरीर और पहचान को भगवान के चरणों में समर्पित कर रहा है। यह विनम्रता और भक्ति की चरम सीमा मानी जाती है। हिंदू धर्म में मुण्डन को शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना गया है। यह शरीर को नए सिरे से शुरुआत देने जैसा होता है। खासकर बच्चों के पहले मुण्डन को शुभ माना जाता है, जिससे उन्हें बुरी शक्तियों से बचाव और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिले। तिरुपति में बाल अर्पण करने की परंपरा सदियों पुरानी है। माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने अपने अवतार श्रीवेंकटेश्वर के रूप में इस क्षेत्र में अवतरण लिया था, और उन्होंने एक बार ऋण चुकाने के लिए अपने बाल अर्पित किए थे। उसी श्रद्धा से भक्त आज भी यह परंपरा निभाते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव है। सिर मुंडवाने के बाद जब भक्त अपने बाल भगवान को अर्पित करते हैं, तो वे अपने अंदर एक नयापन और हलकापन महसूस करते हैं, जैसे सभी बोझ भगवान को सौंप दिए हों। तिरुपति में मुण्डन करवाना महज एक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और विनम्रता का प्रतीक है। यह एक ऐसी परंपरा है जो शारीरिक कृत्य से आगे बढ़कर आत्मा की शुद्धि और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाती है। इसीलिए चाहे आम जन हों या प्रसिद्ध हस्तियाँ, तिरुपति में मुण्डन करवाने की परंपरा आज भी उतनी ही प्रासंगिक और पवित्र मानी जाती है।

वही दुसरी तरफ साउथ के सुपरस्टार और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण की पत्नी अन्ना लेझ्नेवा एक बार फिर अपने धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थल तिरुपति बालाजी मंदिर में अपना मुण्डन संस्कार कराया, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। अन्ना लेझ्नेवा, जो रूस मूल की हैं, ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को अपनाते हुए तिरुपति में यह धार्मिक कार्य संपन्न किया। यह मुण्डन संस्कार न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समर्पण और आत्मशुद्धि की भावना को भी दर्शाता है। माना जा रहा है कि अन्ना ने यह मुण्डन किसी मन्नत के पूरे होने पर करवाया है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। तिरुपति बालाजी मंदिर में मुण्डन कराना एक पुरानी परंपरा है, जिसे कई श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर निभाते हैं।इस मौके पर मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे और पवन कल्याण के प्रशंसकों की भारी भीड़ भी वहां देखने को मिली।अन्ना लेझ्नेवा का यह कदम भारतीय संस्कृति में उनकी आस्था और उनकी पारिवारिक धार्मिक परंपराओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है। यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि जब श्रद्धा और विश्वास दिल से हों, तो सीमाएं और भाषाएं मायने नहीं रखतीं।

 

 

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