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करवा चौथ 2025, वो एक दिन जो पति-पत्नी के रिश्ते को अमर बना देता…

Karwa Chauth 2025, the day that immortalizes the relationship between husband and wife...

Breaking Today, Digital Desk : हर साल की तरह, 2025 में भी करवा चौथ आने वाला है। यह सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि हर सुहागिन स्त्री के दिल में बसा एक खूबसूरत एहसास है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए रखा जाता है। यह दिन बताता है कि भारतीय संस्कृति में रिश्ते कितने अनमोल हैं और प्यार कितना गहरा।

कब है करवा चौथ 2025?

साल 2025 में करवा चौथ 17 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूरे देश में रौनक रहती है, महिलाएँ सजती-संवरती हैं, और चाँद का बेसब्री से इंतज़ार करती हैं।

करवा चौथ की कहानी: सदियों पुराना विश्वास

करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई, इसे लेकर कई कहानियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ यहाँ हैं:

  1. करवा और वीरवती की कथा: सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक है रानी वीरवती की। वीरवती अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी और अपनी पहली करवा चौथ पर बहुत परेशान थी क्योंकि उसे भूख-प्यास लगी थी। उसके भाइयों ने उससे रहा नहीं गया और उन्होंने एक पेड़ पर दीपक रखकर चाँद दिखने का भ्रम पैदा किया। वीरवती ने जैसे ही व्रत खोला, उसे पता चला कि उसके पति की तबियत खराब हो गई है। बाद में, जब उसे सच्चाई का पता चला, तो उसने सच्ची श्रद्धा से दोबारा व्रत रखा और भगवान ने उसके पति को ठीक कर दिया। यह कहानी सिखाती है कि व्रत हमेशा पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए।

  2. सावित्री और सत्यवान की कथा: कुछ लोग इसे सावित्री और सत्यवान की कहानी से भी जोड़ते हैं। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। यह कहानी पति के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जो करवा चौथ के व्रत में भी झलकता है।

  3. महाभारत और द्रौपदी: एक और कहानी के अनुसार, जब पांडव वनवास में थे, तब अर्जुन तपस्या करने गए थे। द्रौपदी ने उनकी सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद माँगी। कृष्ण ने उन्हें करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से अर्जुन सकुशल लौट आए थे।

महिलाएँ क्यों रखती हैं यह व्रत?

करवा चौथ का व्रत रखने के पीछे मुख्य भावना अपने पति के प्रति असीम प्रेम, समर्पण और उनके सुखी व दीर्घायु जीवन की कामना है। यह व्रत केवल पति-पत्नी के रिश्ते को ही मजबूत नहीं करता, बल्कि परिवार में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।

  • पति की लंबी उम्र: यह सबसे महत्वपूर्ण कारण है। महिलाएँ मानती हैं कि इस व्रत को रखने से उनके पति को लंबी आयु मिलती है।

  • वैवाहिक सुख: व्रत दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और मधुरता लाता है।

  • परंपरा और आस्था: सदियों से चली आ रही यह परंपरा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसे हर पीढ़ी निभाती आ रही है।

  • प्यार का इजहार: यह दिन पति-पत्नी के लिए एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान जाहिर करने का भी मौका होता है।

इस दिन महिलाएँ सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं और पूरे दिन निर्जला रहती हैं। शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करने के बाद, चाँद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।

करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्यार, त्याग और विश्वास का एक सुंदर पर्व है। यह भारतीय संस्कृति की उस गहरी जड़ का प्रतीक है, जहाँ रिश्ते, परंपराएँ और भावनाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

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